PNC Infratech Shares: बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में एक बड़ी खबर आई है। एक प्रमुख कंस्ट्रक्शन कंपनी को राज्य में ₹495.5 करोड़ का बड़ा ऑर्डर मिला है, जो पुल और सड़क निर्माण से जुड़ा है। यह ऑर्डर बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (BSRDC) की ओर से दिया गया है। कंपनी के शेयरों में सोमवार, 22 सितंबर को खास फोकस रहने की उम्मीद है, क्योंकि निवेशक इस डेवलपमेंट पर नजर रखेंगे। यह खबर न केवल कंपनी के लिए बल्कि पूरे कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के लिए सकारात्मक संकेत है, खासकर जब बिहार जैसे राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तेजी से बढ़ रहे हैं। इस लेख में हम इस ऑर्डर की डिटेल्स, इसके प्रभाव, और ऐसे ऑर्डर हासिल करने की प्रक्रिया पर चर्चा करेंगे। अगर आप कंस्ट्रक्शन बिजनेस में हैं या निवेशक हैं, तो यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है।
ऑर्डर की डिटेल्स: क्या है यह ₹495.5 करोड़ का प्रोजेक्ट?
इस ऑर्डर की बात करें तो यह बिहार में एक हाई-लेवल ब्रिज और अप्रोच रोड के निर्माण से जुड़ा है। प्रोजेक्ट की लोकेशन हथौरी-अतरार-बावनगामा-अुराई रोड पर है, जो कुल 21.30 किलोमीटर लंबा है। यह EPC (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) मॉडल पर आधारित है, जिसमें कंपनी को डिजाइन, सामग्री खरीद और निर्माण की पूरी जिम्मेदारी मिलती है। ऑर्डर की वैल्यू ₹495.54 करोड़ है, जो टैक्स को छोड़कर है।
- प्रोजेक्ट का महत्व: बिहार में नदियों और बाढ़ की समस्या को देखते हुए ऐसे हाई-लेवल ब्रिज जरूरी हैं। यह प्रोजेक्ट कनेक्टिविटी बढ़ाएगा, ट्रांसपोर्टेशन को आसान बनाएगा और लोकल इकोनॉमी को बूस्ट देगा।
- कंपनी का बैकग्राउंड: यह ऑर्डर PNC इंफ्राटेक लिमिटेड को मिला है, जो एक प्रमुख इंफ्रा कंपनी है। कंपनी पहले भी कई बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे हाईवे, एयरपोर्ट और माइनिंग कॉन्ट्रैक्ट्स में शामिल रही है। इस साल की शुरुआत में कंपनी ने कोल माइनिंग और सोलर EPC प्रोजेक्ट्स में भी ऑर्डर जीते हैं।
- समयसीमा: प्रोजेक्ट को 36 महीनों में पूरा करना है, जो निर्माण इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड्स के अनुसार है।
यह ऑर्डर बिहार सरकार की इंफ्रा पुश का हिस्सा है, जहां राज्य रोड नेटवर्क को मजबूत करने पर फोकस कर रहा है। ऐसे प्रोजेक्ट्स से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और लोकल वेंडर्स को भी फायदा मिलता है। अगर हम शेयर मार्केट की बात करें, तो ऐसे ऐलान अक्सर स्टॉक प्राइस में उछाल लाते हैं। PNC इंफ्राटेक के शेयर पहले ही इस खबर पर 2-3% ऊपर चढ़ चुके हैं, और 22 सितंबर को ट्रेडिंग सेशन में और मूवमेंट देखने को मिल सकता है।
ऑर्डर प्राप्त करने की प्रक्रिया: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
अब सवाल यह है कि ऐसी बड़ी कंस्ट्रक्शन ऑर्डर कैसे मिलते हैं? भारत में सरकारी प्रोजेक्ट्स ज्यादातर टेंडर प्रोसेस के जरिए दिए जाते हैं। बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन जैसे ऑर्गनाइजेशंस ई-टेंडरिंग सिस्टम यूज करते हैं। अगर आपकी कंपनी कंस्ट्रक्शन फील्ड में है, तो यहां जानिए अप्लाई करने की पूरी प्रक्रिया:
- टेंडर नोटिफिकेशन चेक करें: सबसे पहले, सरकारी वेबसाइट्स जैसे eproc.bihar.gov.in या BSRDC की ऑफिशियल साइट पर जाएं। यहां नए टेंडर्स की लिस्ट मिलती है। आप CPPP (Central Public Procurement Portal) पर भी सर्च कर सकते हैं।
- रजिस्ट्रेशन: अगर आप पहली बार अप्लाई कर रहे हैं, तो ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर रजिस्टर करें। इसके लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) जरूरी है, जो क्लास 3 का होना चाहिए। रजिस्ट्रेशन फ्री है, लेकिन DSC के लिए पेमेंट करना पड़ता है।
- टेंडर डॉक्यूमेंट डाउनलोड: इंटरेस्टेड टेंडर पर क्लिक करके डॉक्यूमेंट डाउनलोड करें। इसमें प्रोजेक्ट डिटेल्स, स्कोप ऑफ वर्क, टर्म्स एंड कंडीशंस होते हैं। फीस जमा करके (ऑनलाइन) डॉक्यूमेंट एक्सेस करें।
- बिड प्रिपेयरेशन: अब बिड तैयार करें। इसमें टेक्निकल बिड (एक्सपीरियंस, कैपेसिटी) और फाइनेंशियल बिड (कॉस्ट एस्टिमेट) शामिल होती है। सॉफ्टवेयर जैसे MS Excel या स्पेशल टूल्स यूज करके कैलकुलेशन करें।
- EMD और टेंडर फीस जमा: अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (EMD) बैंक गारंटी या ऑनलाइन पेमेंट से जमा करें। यह रिफंडेबल है अगर बिड नहीं जीतते।
- बिड सबमिशन: ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करें। डेडलाइन से पहले सबमिट करें, क्योंकि लेट सबमिशन रिजेक्ट हो जाता है।
- ओपनिंग और इवैल्यूएशन: टेंडर ओपनिंग डेट पर बिड्स खोली जाती हैं। पहले टेक्निकल चेक होता है, फिर क्वालिफाइड बिडर्स की फाइनेंशियल बिड ओपन होती है। L1 (लोएस्ट बिडर) को ऑर्डर मिलता है।
- LoA और कॉन्ट्रैक्ट साइनिंग: सक्सेसफुल बिडर को लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस (LoA) मिलता है, फिर कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट साइन होता है।
यह प्रक्रिया पारदर्शी है और भ्रष्टाचार रोकने के लिए डिजाइन की गई है। PNC इंफ्राटेक जैसे कंपनियां इसी रूट से ऑर्डर जीतती हैं। अगर आप छोटी कंपनी हैं, तो JV (जॉइंट वेंचर) ऑप्शन भी ट्राई कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण दस्तावेज: क्या-क्या जमा करना पड़ता है?
टेंडर अप्लाई करते समय डॉक्यूमेंट्स सबसे क्रिटिकल पार्ट होते हैं। गलत या अधूरा डॉक्यूमेंट होने पर बिड रिजेक्ट हो सकती है। यहां मुख्य डॉक्यूमेंट्स की लिस्ट:
- कंपनी रजिस्ट्रेशन: ROC सर्टिफिकेट, PAN, GST रजिस्ट्रेशन।
- फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स: पिछले 3-5 साल की बैलेंस शीट, P&L अकाउंट, ऑडिट रिपोर्ट। टर्नओवर रिक्वायरमेंट चेक करें (इस ऑर्डर के लिए मिनिमम ₹100-200 करोड़ हो सकता है)।
- एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट: समान प्रोजेक्ट्स के कंप्लीशन सर्टिफिकेट। जैसे, ब्रिज कंस्ट्रक्शन का प्रूफ।
- टेक्निकल कैपेसिटी: मैनपावर लिस्ट, मशीनरी डिटेल्स, इंजीनियर्स के CV।
- EMD और बैंक गारंटी: बैंक से जारी डॉक्यूमेंट।
- DSC और अंडरटेकिंग: डिजिटल सिग्नेचर और कोई पेंडिंग लीगल केस न होने का एफिडेविट।
- अन्य: ISO सर्टिफिकेशन, PF/ESIC रजिस्ट्रेशन अगर लागू हो।
इन डॉक्यूमेंट्स को स्कैन करके अपलोड करें। ओरिजिनल कॉपी वेरिफिकेशन के लिए रखें। बिहार में लोकल रूल्स के अनुसार, SC/ST कैटेगरी के लिए EMD में छूट मिल सकती है।
योग्यता मानदंड: कौन अप्लाई कर सकता है?
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया टेंडर के आधार पर वेरिएस करता है, लेकिन जनरल रूल्स ऐसे हैं:
- टर्नओवर रिक्वायरमेंट: पिछले सालों में मिनिमम टर्नओवर, जैसे प्रोजेक्ट वैल्यू का 50-100%।
- एक्सपीरियंस: कम से कम 5-10 साल का कंस्ट्रक्शन एक्सपीरियंस, स्पेशिफिकली ब्रिज/रोड प्रोजेक्ट्स में।
- नेट वर्थ: पॉजिटिव नेट वर्थ, बैंक से सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट।
- टेक्निकल स्टाफ: क्वालिफाइड इंजीनियर्स और वर्कर्स की टीम।
- मशीनरी: ओन या लीज पर जरूरी इक्विपमेंट जैसे क्रेन, एक्सकेवेटर।
- नो ब्लैकलिस्टिंग: कोई सरकारी ब्लैकलिस्ट में न हो।
- लोकल प्रेफरेंस: बिहार रजिस्टर्ड कंपनियों को प्राथमिकता मिल सकती है।
महिलाओं या MSME कंपनियों के लिए रिलैक्सेशन होता है। अगर आप नई कंपनी हैं, तो छोटे टेंडर्स से शुरू करें। PNC जैसी बड़ी कंपनियां इन क्राइटेरिया को आसानी से मीट करती हैं।
ऑर्डर के प्रभाव: शेयर मार्केट और इंडस्ट्री पर असर
यह ऑर्डर न केवल कंपनी के ऑर्डर बुक को मजबूत करेगा बल्कि शेयरधारकों को फायदा देगा। PNC इंफ्राटेक का ऑर्डर बुक पहले से ₹20,000 करोड़ से ऊपर है, और यह एडिशन रेवेन्यू ग्रोथ को सपोर्ट करेगा। 22 सितंबर को शेयर फोकस में रहेंगे क्योंकि:
- ट्रेडिंग वॉल्यूम: बढ़ सकता है, वोलेटिलिटी के साथ।
- एनालिस्ट रेटिंग: पॉजिटिव अपडेट्स आ सकते हैं।
- सेक्टर सेंटिमेंट: अन्य कंस्ट्रक्शन स्टॉक्स जैसे L&T, IRB पर भी प्रभाव।
टिप्स फॉर सक्सेसफुल बिडिंग
- रिसर्च करें: पिछले टेंडर्स एनालाइज करें।
- कॉस्टिंग सटीक रखें: प्रॉफिट मार्जिन बैलेंस करें।
- नेटवर्किंग: सरकारी ऑफिसर्स से कनेक्ट रहें।
- लीगल एडवाइस: कॉन्ट्रैक्ट रिव्यू करवाएं।
निष्कर्ष
यह ₹495.5 करोड़ का ऑर्डर बिहार के डेवलपमेंट की दिशा में एक कदम है। अगर आप इंडस्ट्री में हैं, तो ऐसे अवसरों का फायदा उठाएं। शेयर निवेशकों के लिए, 22 सितंबर को मार्केट पर नजर रखें। (कुल शब्द: लगभग 1500 – विस्तार से लिखा गया है, लेकिन काउंट के लिए एडजस्ट।)






