H1B Visa New Rules अमेरिका में H1B वीजा को लेकर हमेशा से ही चर्चा और बदलाव का दौर रहा है। हाल ही में, पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर H1B वीजा नियमों में बड़े बदलाव की घोषणा की है। इन नए प्रस्तावित नियमों को “टेक सेक्टर के लिए एक बड़ा झटका” बताया जा रहा है, जिसमें वीजा प्रक्रिया को और सख्त बनाने पर जोर दिया गया है।
यह बदलाव न सिर्फ अमेरिका का सपना देखने वाले हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत के आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर भी इसका गहरा असर पड़ने की उम्मीद है। इस लेख में, हम आपको इन नए नियमों की पूरी जानकारी, उनके मायने, और आप पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव के बारे में विस्तार से बताएंगे।
H1B वीजा क्या है? एक संक्षिप्त overview
बुनियादी बातों से शुरुआत करते हैं। H1B वीजा अमेरिका की एक गैर-आव्रजन वीजा श्रेणी है, जो अमेरिकी कंपनियों को उच्च-शिक्षित विदेशी पेशेवरों को विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में नियुक्त करने की अनुमति देती है। यह विशेष रूप से उन पदों के लिए है जिनके लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जैसे:
- आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी)
- फाइनेंस
- इंजीनियरिंग
- गणित
- आर्किटेक्चर
- मेडिसिन और स्वास्थ्य सेवाएं
इस वीजा की अवधि आमतौर पर 3 साल होती है, जिसे बाद में 3 साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
ट्रंप के नए H1B वीजा नियम 2024: क्या है पूरा मामला?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक कार्यक्रम के दौरान अमेरिकी कंपनियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे “अमेरिकी कर्मचारियों की जगह सस्ते विदेशी मजदूरों” को नौकरी पर रख रहे हैं। इसी बयान के आधार पर, उन्होंने H1B वीजा प्रक्रिया में बड़े बदलावों की घोषणा की। इन नए प्रस्तावों का मुख्य उद्देश्य है “अमेरिका और अमेरिकी workers को पहले रखना” (America First)।
इन नए नियमों के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- लॉटरी सिस्टम में बदलाव: मौजूदा system में, H1B वीजा के लिए आवेदन करने वाले सभी उम्मीदवारों के बीच एक रैंडम लॉटरी (यादृच्छिक चयन) होती है। नए प्रस्ताव के अनुसार, अब लॉटरी उम्मीदवार के नाम पर नहीं, बल्कि उसके नामिनेटर (स्पॉन्सर) कंपनी के नाम पर होगी। इसका मतलब है कि एक कंपनी जितने अधिक आवेदन दाखिल करेगी, उसके चुने जाने की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी। इससे बड़ी आईटी कंंपनियों द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन दाखिल करने पर अंकुश लगेगा।
- वेतन में वृद्धि: नए नियमों में H1B वीजा धारकों के लिए न्यूनतम वेतन स्तर (Minimum Wage Level) को काफी ऊपर उठाने का प्रस्ताव है। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी कंपनियां सिर्फ कम वेतन में काम करवाने के लिए विदेशी टैलेंट को नहीं बुला रही हैं, बल्कि उन्हें उचित और competitive वेतन दे रही हैं।
- नौकरी के शर्तों में सख्ती: H1B वीजा धारकों को “नॉन-इमिग्रेंट इंटेंट” (गैर-आप्रवासी इरादे) का प्रमाण पेश करना होगा, यानी उन्हें यह दिखाना होगा कि उनकी इच्छा अमेरिका में स्थायी रूप से बसने की नहीं है। साथ ही, नौकरी की भूमिका और आवश्यक योग्यताओं को साबित करने के लिए और सख्त दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।
- फ्रॉड और एब्यूज पर रोक: आवेदन प्रक्रिया के दौरान धोखाधड़ी और नियमों के दुरुपयोग को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएंगे।
नए नियमों का टेक सेक्टर और भारतीय पेशेवरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इन प्रस्तावित नियमों का सबसे ज्यादा असर भारतीय आईटी पेशेवरों और भारत स्थित आईटी सेवा कंपनियों पर पड़ने की संभावना है।
- भारतीय आईटी कंपनियों के लिए चुनौती: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, विप्रो जैसी बड़ी भारतीय आईटी फर्मों को अमेरिकी क्लाइंट्स के लिए प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए H1B वीजा पर ही employees को भेजना पड़ता है। लॉटरी सिस्टम में बदलाव और सख्त नियमों के कारण इन कंपनियों के लिए अमेरिका में talent भेजना और मुश्किल हो जाएगा, जिससे उनके business और revenue पर असर पड़ सकता है।
- फ्रेशर्स और कम अनुभवी professionals के लिए मुश्किल: न्यूनतम वेतन स्तर बढ़ने से अमेरिकी कंपनियां अब कम अनुभव या entry-level के पदों के लिए H1B वीजा का इस्तेमाल करने से कतराएंगी। उनके लिए एक H1B employee को high salary देना मुश्किल होगा। इससे नए graduates और कम experience वाले professionals के अमेरिका जाने के opportunities कम हो जाएंगे।
- हाई-स्किल्ड और स्पेशलाइज्ड टैलेंट के लिए अवसर: दूसरी तरफ, जो पेशेवर truly high-skilled और specialized हैं, जैसे AI/ML experts, Data Scientists, Senior Software Architects, उनके लिए ये नियम एक अवसर भी हो सकते हैं। कंपनियां उच्च वेतन देकर ऐसे ही विशेषज्ञों को लाना पसंद करेंगी, क्योंकि उनकी skills local market में easily available नहीं हैं।
H1B वीजा के लिए पात्रता मानदंड (Eligibility Criteria)
नए नियमों के बाद भी, बुनियादी पात्रता मानदंड लगभग वही रहने की उम्मीद है:
- शैक्षिक योग्यता: आवेदक के पास अमेरिकी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से related field में बैचलर डिग्री या उसके समकक्ष qualification होनी चाहिए।
- नौकरी का प्रस्ताव: आवेदक के पास एक अमेरिकी employer द्वारा दिया गया नौकरी का ऑफर लेटर होना चाहिए।
- स्पेशल्टी ऑक्यूपेशन: नौकरी की भूमिका एक “स्पेशल्टी ऑक्यूपेशन” (विशेष पेशा) होना चाहिए, जिसके लिए सैद्धांतिक और practical application of highly specialized knowledge की आवश्यकता हो।
- लाइसेंस: अगर नौकरी के लिए किसी specific लाइसेंस या परमिट की जरूरत है (जैसे वकील, डॉक्टर), तो आवेदक के पास वह होना चाहिए।
H1B वीजा आवेदन प्रक्रिया (Application Process)
आवेदन प्रक्रिया मुख्य रूप से employer द्वारा संचालित की जाती है। मोटे तौर पर steps इस प्रकार हैं:
- नौकरी का ऑफर और LCA (Labor Condition Application): सबसे पहले, अमेरिकी employer को आपके पद के लिए Department of Labor (DOL) से LCA approve करवाना होगा। इसमें यह स证明 देना होता है कि कंपनी H1B employee को local prevailing wage देगी और उसकी नियुक्ति से अमेरिकी workers के काम के मौके प्रभावित नहीं होंगे।
- फॉर्म I-129 दाखिल करना: LCA approve होने के बाद, employer को U.S. Citizenship and Immigration Services (USCIS) के पास फॉर्म I-129, Petition for a Nonimmigrant Worker, दाखिल करना होगा।
- लॉटरी प्रक्रिया: अप्रैल के पहले सप्ताह में USCIS सभी दाखिल किए गए आवेदनों का registration लेता है। अगर आवेदनों की संख्या yearly cap (85,000) से अधिक होती है, तो एक computerized random lottery निकाली जाती है।
- पीटिशन का प्रोसेसिंग: लॉटरी में चुने गए आवेदनों की प्रोसेसिंग शुरू होती है। USCIS सभी दस्तावेजों की जांच करता है और अगर सब कुछ ठीक रहा, तो H1B वीजा को मंजूरी दे देता है।
- वीजा इंटरव्यू: अमेरिकी दूतावास或 konsulate में वीजा इंटरव्यू के लिए appointment लेनी होती है और interview clear करना होता है।
H1B वीजा के लिए आवश्यक दस्तावेज (Important Documents)
आवेदन प्रक्रिया के दौरान जरूरी दस्तावेजों की एक लिस्ट इस प्रकार है:
- शैक्षिक दस्तावेज: सभी डिग्रियों और मार्कशीट्स की attested copies (10th, 12th, Graduation, Post-Graduation).
- पासपोर्ट: वैध पासपोर्ट, जिसकी validity कम से कम अगले 6 महीने तक हो।
- फोटोग्राफ: USCIS के specifications के according recent passport-size photographs.
- नौकरी का ऑफर लेटर: अमेरिकी employer का साइन किया हुआ ऑफर लेटर, जिसमें job title, job description, salary, और employment terms and conditions clearly mentioned हों।
- रिज्यूमे (बायोडाटा): updated और detailed resume.
- LCA approval: Department of Labor द्वारा approve किया गया Labor Condition Application.
- वर्क experience के प्रमाण पत्र: पिछले employers से experience certificates.
नोट: यह एक generic list है। specific case के हिसाब से additional documents की आवश्यकता हो सकती है।
निष्कर्ष
ट्रंप के इन नए H1B वीजा प्रस्तावों ने एक बार फिर अमेरिका में काम करने के सपने देख रहे लाखों लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। हालांकि, यह याद रखना जरूरी है कि ये अभी प्रस्ताव हैं और इन्हें कानून का रूप लेने में समय लगेगा। इनमें और बदलाव भी हो सकते हैं।






